दिनांक :-14/09/2024
स्थान :- कार्यालय सभागार
प्रतिभागी :- वाटरशेड ,सतत संवृद्धि के लिए सतत विकास , सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण टीम (Aid India) , GFF एवं FXB प्रोजेक्ट के सभी कार्यकर्तागण |
प्रतिभागी की संख्या :-कुल :- 23 पुरुष -13 महिला- 10
प्रशिक्षक:-मनोरंजन जी ,मुकेश जी, सूरज जी एवं राजीव रंजन |
आज दिनांक 14/09/2024 को संस्था झारखंड विकास परिषद् के द्वारा बाल संरक्षण पालिसी और सेफगार्डिंग को लेकर कार्यकर्ताओं के साथ एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया | संस्था के सचिव महोदया के द्वारा उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं को बताये कि इस उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण का मुख्य उदेश्य सभी को अच्छे से बाल संरक्षण व सेफगार्डिंग के बारे में जानकारी प्राप्त करे | इस उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण का मुख्य उदेश्य सभी अच्छे से बाल संरक्षण व सेफगार्डिंग के बारे में जानकारी प्राप्त करना | सर्वप्रथम कार्यक्रम का प्रारंभ परिचय सत्र से किया गया,परिचय सत्र के बाद सभी से पूछा गया कि- बच्चा (किशोर) किसे कहतें है? सभी ने बारी- बारी से बच्चा (किशोर) के बारे में बताया व चर्चा की | प्रशिक्षक मुकेश बारीक सर ने बताया कि जो बच्चा (किशोर) 18 वर्ष पूरा नहीं किये है वो- बच्चा (किशोर) है | प्रशिक्षक राजीव रंजन जी के द्वारा बताया की बाल संरक्षण नीति का मुख्य उदेश्य :-
बच्चों के अधिकारों और उनके सर्वोत्तम हितों की रक्षा करना। एवं बाल दुर्व्यवहार के सभी पहचाने गए या संदिग्ध मामलों से निपटने में बच्चे को पहली प्राथमिकता देना। बच्चों को उनके अधिकारों, व्यक्तिगत सुरक्षा तथा समस्या होने पर उनके द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों के बारे में सशक्त बनाना और शिक्षित करना। प्रशिक्षक सूरज सर के
द्वारा बताया गया बच्चों के लिए सरकार द्वारा एक कानून बनाया गया जिसे किशोर न्याय अधिनियम 2000 (J.J. Act -2000) कहा गया जिसे पुनः 2015 में संशोधन करके किशोर न्याय (बालकों की देखरेख व संरक्षण) अधिनियम, 2015 (J.J. Act Care & Protection -2015) | इस एक्ट संशोधन के बाद 16 से 18 वर्ष उम्र के बीच के ऐसे बच्चे जो जघन्य अपराध करते है जैसे :- रेप करना व रेप करने के मर्डर करना ,खून करना / डाका डालना इस प्रकार के बच्चे को ब्यस्क ब्यक्ति की तरह क़ानूनी कारवाई की जाएंगी|
प्रशिक्षक मुकेश सर के द्वारा सभी को अपने–अपने चार्ट पेपर में बाल शोषण व बाल अपराध क्या-क्या है लिखने को कहा गया , उसके बाद सभी ने बाल शोषण के बारे में चार्ट पेपर में लिखा | जैसे :-
पुनःउसके बाद सभी ने बाल अपराध क्या – क्या है के उसके बारे में चार्ट पेपर में लिखा | जैसे :-
CNCP (Child need Care & Protection –देखभाल के जरूरतमंद के बच्चे ) :- ऐसे बच्चे जिन्हें देखभाल व सुरक्षा के जरूरत हों | जैसे :-अनाथ, असहाय,घर से भागे हुए बच्चे व शाररिक व मानसिक रूप से शोषित बच्चे |
CCL(child conflict with low) :- ऐसे बच्चे जो कानून /विधि का उल्लघन करते हों ie अपराध किए हुए बच्चे |
प्रशिक्षक राजीव रंजन जी के द्वारा सभी कार्यकर्ताओं को बताया गया कि बालकल्याण समिति (child Welfare committee ) में पांच सदस्य होते है जिसमें से 1 महिला सदस्य का होना अनिवार्य है | जिसे बेंच ऑफ़ मजिस्टेट कहा जाता हैं | बाल कल्याण समिति के समक्ष ऐसे बच्चे को प्रस्तुत किया जाता है जिन्हें देखभाल व सुरक्षा के जरूरत हों | बाल कल्याण समिति के समक्ष कोई भी व्यक्ति या बच्चा स्वयं को प्रस्तुत कर सकता है |
साथ ही किशोर न्याय बोर्ड (JJB-Juvenile Justice Board)- किशोर न्याय बोर्ड में 3 सदस्य होते है जिसमें से 1 महिला सदस्य का होना अनिवार्य है किशोर न्याय बोर्ड को बैंच ऑफ़ मजिस्टेट कहा जाता हैं |किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष ऐसे बच्चे को प्रस्तुत किया जाता है जो कानून /विधि का उल्लघन करते हों i.e. अपराध किए हुए बच्चे या अपराध में शामिल बच्चे हो |
जिला बाल संरक्षण इकाई बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय बोर्ड के संचालन में सहयोग करती है व नियुक्ति प्रक्रिया में मदद करती है | जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी व क़ानूनी सह परिवीक्षा अधिकारी दोनों बाल कल्याण समिति व किशोर न्याय बोर्ड को मदद करती है | जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी किसी भी प्रकार के बच्चे को लाने व पहुचवाने में सहयोग सहयोग करती है|
दूसरे सत्र ie लंच के बाद प्रशिक्षक मुकेश सर के द्वारा बाल अधिकार संरक्षण समिति व आयोग के बारे में बताया गया कि राष्टीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग देश स्तर के बाल हित के मुद्दों को देखती है इसके मुखिया इसके अध्यक्ष होते है उसी प्रकार राज्य स्तर के बाल हित के मुद्दों को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग देखती हैं इसके प्रमुख इसके अध्यक्ष होते है,उसी प्रकार जिला स्तर के बाल हित के मुद्दों को जिला बाल संरक्षण समिति देखती है इसके प्रमुख जिला परिषद् के अध्यक्ष होतें हैं| इसी प्रकार ब्लॉक स्तर के बाल हित के मुद्दों को प्रखंड बाल संरक्षण समिति देखती है इसके प्रमुख प्रखंड के प्रखंड प्रमुख होतें हैं एवं ग्राम स्तर पर बाल हित के मुद्दों को ग्राम बाल संरक्षण समिति देखती है इसके प्रमुख गाँव के ग्राम प्रधान होते है |
सभी उपस्थित कार्यकर्ताओं को ग्राम बाल संरक्षण समिति के बारे में बिस्तृत रूप से बताया गया जैसे :-
कार्यक्रम के अंतिम सत्र में पोस्को अधिनियम (POSCO-The Protection of Children from Sexual Offence Act) यौंन( लैंगिक) अपराधों से बच्चो का संरक्षण अधिनियम-2012. के बारे में बिस्तृत रूप से बताया गया कि यह कानून बच्चों को शाररिक व मानसिक व यौन शोषण, यौन उत्पीड़न, प्रोनोग्राफी से संरक्षण के लिए 14 नवम्बर 2012 को बनाया गया |
पोस्को अधिनियम मुख्य धाराएं :-
धारा 3 के तहत जो कोई व्यक्ति नाबालिक बच्चे के साथ बदनीयती से हमला करना एवं धारा 4 के तहत जो कोई व्यक्ति बच्चे के साथ बलात्कार करता है उसे कम से कम 7 वर्ष की सजा व अधिकतम आजीवन कारावास का सजा और जुर्माना व् लगाया जा सकता हैं |
धारा 5 के तहत गंभीर प्रवेश लैंगिक हमला करता है उसे न्यूनतम सजा कम से कम 20 वर्ष की जेल की सजा हो सकती है जिसे बढाकर उम्रकैद या मौत की सजा की जा सकती है |
धारा 6 – इसके तहत जो कोई व्यक्ति यौन हमला करता है उसे न्यूनतम सजा 10 वर्ष की अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी |
धारा 7 एवं धारा 8 के तहत जो कोई व्यक्ति नाबालिक बच्चे के निजी अंग से छेड़छाड़ की जाती है तो उसे कम से कम 3 - 5 वर्ष की सजा व जुर्माना लगाया जा सकता हैं |
धारा 9 बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा बच्चे के निजी अंग से छेड़छाड़ की जाती है तो उसे कम से कम 5 - 7 वर्ष की सजा व जुर्माना लगाया जा सकता हैं |
धारा 11 लैंगिक आशय से बालक को कोई शब्द कहना ,ध्वनि सुनना ,कोई बस्तु या शरीर का कोई भाग प्रदर्शित करना या बालक से करवाना, अश्लील प्रयोजंनों के लिए बालक को मीडिया में कोई बस्तु दिखाना /प्रलोभन देना ,इसके तहत उसे आरोपित व्यक्ति को कम से कम 3 वर्ष की सजा व जुर्माना लगाया जा सकता हैं |
धारा 13 किसी मीडिया में कोई भी बालक का नाम व पता ,फोटो ,परिवार का ब्यौरा या ,विद्यालय ,पड़ोस या अन्य जानकारी के माध्यम से बालक का पहचान कराता है ie जिससे बालककी ख्याति का हनन या उसके निजता का उलंघन होता है इसके तहत कम से कम 6 माह से 1 वर्ष की सजा व जुर्माना लगाया जा सकता हैं
सत्र के अंत में कार्यकर्त्ता के अनुरोध पर राजीव जी के द्वारा पेसा अधिनियम (PESA- Panchayats Extension to Scheduled Areas) Act--1996 के बारे बताया गया- पंचायत के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम (PESA Act) -1996 :- भारत सरकार के अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए पारंपरिक ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन सुनिशित करने के लिए बनाया गया एक कानून है |
जनजातीय आबादी के बड़े हिस्से को स्वशासन प्रदान करना। सहभागी लोकतंत्र के साथ ग्राम शासन स्थापित करना तथा ग्राम सभा को सभी गतिविधियों का केन्द्र बनाना। पारंपरिक प्रथाओं के अनुरूप उपयुक्त प्रशासनिक ढांचा विकसित करना। जनजातीय समुदायों की परंपराओं और रीति-रिवाजों की रक्षा और संरक्षण करना। यह अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के प्राकृतिक संसाधनों पर पारंपरिक अधिकारों को मान्यता देता है। यह स्व-शासन के अपने स्वयं के रूपों के माध्यम से स्व-शासन के उनके अधिकार की भी पुष्टि करता है। स्थानीय शासन में सहभागी लोकतंत्र की स्थापना कर ग्राम सभा को समस्त कार्यों का केन्द्र बनाना।भारत में कुल आठ राज्यों में पंचायती राज अधिनियमों के तहत पेसा नियम तैयार और अधिसूचित किए हैं।अर्थात् आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना | बाकी दो राज्य उड़ीसा और झारखण्ड में पेसा एक्ट लागू नहीं हुआ हैं| उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण का समापन दिनभर बताये गए जानकारी को रिकैप किया गया व अंत में इस कार्यक्रम को धन्यवाद के साथ समापन किया गया |